What Does shiv chalisa lyricsl Mean?
What Does shiv chalisa lyricsl Mean?
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मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
No matter one’s social position or authority, By reciting this, they achieve purity and victory. Even those who are childless and yearning for wants, Will surely get blessings with the grace of Lord Shiva.
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
Glory to Girija’s consort Shiva, who is compassionate to the destitute, who constantly guards the saintly, the moon on whose forehead sheds its beautiful lustre, As well as in whose ears are classified as the pendants in the cobra hood.
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
किया उपद्रव तारक more info भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥